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पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
“जगत मे जो कुछ है वह सब ईश्वर का है, तुझे जो प्राप्त हुआ उसी को ही तु भोग . किसी दुसरे के धन की इच्छा न कर .“
ईश उपनिषद