परम्परा अपने अतीत के तोता-रटन्ती गौरव गान से ऊपर उठकर वर्तमान के आह्वान को स्वीकृति दे रही है। कोरोना के भय से हो या साक्षात मृत्यु के भय से, कोई एक करवट तो ली धर्मसत्ता ने1 निपट मुसल्मान न बने रहे। अधिनायक के संवाद को सुना और सही को स्वीकारा, बधाई जन-गण के मन को तेजी से ढाई लाख की रिकॉर्ड तोड़ सँख्या को छू कर उससे आगे भागने की जिद्द है इस वायरस की। अब नन्हें शिशुओं की गर्दनें नापने लगा है वायरस, और देखते ही देखते पूरे घर और कॉलोनी को काबू में कर लेता है। इस जानलेवा (Political gathering) वायरस का पीछा करके इसे काबू में लेने वाले डाक्टर नर्स और अन्यान्य संस्थाएं खुद इसकी लपेट और चपेट में आने लगी हैं।

वाह कुंभ – In Political gathering people avoiding Social distance

  1. Therefore

    वाह1 कमाल हो गया। वाह कुम्भ11 – Political gathering
    परम्परा अपने अतीत के तोता-रटन्ती गौरव गान से ऊपर उठकर वर्तमान के आह्वान को स्वीकृति दे रही है। कोरोना के भय से हो या साक्षात मृत्यु के भय से, कोई एक करवट तो ली धर्मसत्ता ने1 निपट मुसल्मान न बने रहे। अधिनायक के संवाद को सुना और सही को स्वीकारा, बधाई जन-गण के मन को1Political Gathering

  2.  For instance

    तेजी से ढाई लाख की रिकॉर्ड तोड़ सँख्या को छू कर उससे आगे भागने की जिद्द है इस वायरस की। अब नन्हें शिशुओं की गर्दनें नापने लगा है वायरस, और देखते ही देखते पूरे घर और कॉलोनी को काबू में कर लेता है। इस जानलेवा (Political gathering) वायरस का पीछा करके इसे काबू में लेने वाले डाक्टर नर्स और अन्यान्य संस्थाएं खुद इसकी लपेट और चपेट में आने लगी हैं।Political Gathering

  3. In other words

    रणनीति-निर्धारक राजनयिक, आर्थिक मोर्चे पर संघर्षरत व्यापारी-विशेषज्ञ, मन को प्रशिक्षित करने वाले शिक्षाशास्त्री और मनोरंजक-दल; सभी भयभीत हैं। कोरेण्टाईन भी और मृत्यु भी। जैसे महाकाल का ताण्डव चल रहा हो, और भीषण डमरु की गड़गड़ाहट के शोर में अन्य कुछ भी सुनना बन्द हो गया हो।

  4. फ़िर भी आदमी की जीजीविषा और विजीगिषा अटूट है। राजनीतिक कषेत्र में चलता निर्वाचaन विजीगिषा का प्रमाण है तो मीडिया की सारी चेतावनियां जीजीविषा की। आदमी जीना चाहता है और जीतना भी चाहता है।

  5. In conclusion to

    बस यही अन्तर्विरोध जीवन-मृत्यु के अविरत चक्र को चला रहा है। कोरोना वायरस की घोषणा है कि अब आदमी को जीतने नहीं दूँगा, और आदमी अपनी जीत के लिए  ‘भाजपा-तृणमूल’ हुआ जाता है। मारामारी में किसके कितने मरते हैं और कौन जीतता है, यह 2 मई को पता चलना है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *