कोरोना का दर्द,

कोरोना
बड़ा शोर है कोरोना से बचने का! 
उसी तरह बड़ा जोर लगा रहे हो कि एकबार फ़िर इसे चकमा देकर अपने आपको बचा ले जाओ!
मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, कुम्भ मेला तक तय समय से पहले समाप्त करके एकान्त कमरों में दुबकने का नाटक फ़िर शुरु। 
वेक्सीन के लिए मारामारी। फ़िर से एलोपैथी अस्पतालों की शरण! स्कूल, कॉलिज, ऑफ़िस, दूकानें सब लॉग डाऊन?  
वाह रे वाह आदमी, तुम तो इस कोरोना से भी ज्यादा चालाक निकले यार!
चलो, बच गए! फ़िर?  
धरती के दुश्मन!
 फ़िरसे माता धरती को रसातल में डुबोने को रावणी दुष्कर्मों में उतरोगे अहंकारी दानव!
तुम्हारे बचने का फ़ायदा क्या है? 
कौन चाहता है कि तुम बचो? 
धरती को मां की तरह प्यार करने वाले पशि-पक्षी-जलचर- अनन्त वनस्पति- पहाड़-नदियां…  कौन?
किसे दोस्त बनाकर जीने का हक दिया है तुमने?
सबसे दुश्मनी निभा रहे हो भरपूर!
तुम्हारे मरने की मन्नत मना रहा  धरती का कण_कण! 
तुम्हारी चुप्पी से धरती के बचने की आशाएं बनती हैं, अतः मां का यह नन्हा सा लाडला कोविड-19 धरती को बचाने आ गया। अणु से भी छोटा सा है, मगर हौंसले इतने बुलन्द हैं कि 780 करोड़ महारथियों को एकसाथ ललकार कर घरों में दुबका दिया इसने। 
अरे तुम बच भी गए, तो रहोगे कहाँ? 
समूचे सौर-मण्डल में एक भी दूसरा ग्रह-गोला नहीं है जहाँ जीवन सांस ले सके! 
तो बचकर करोगे क्या?
ओ बुद्धिमान आदमी! 
(
For instance)जरा सोचो यार। कोरोना मौका दे रहा है, बैठो अपने प्रिय परिजनों के पास और उनसे जानो कि तुम्हारी इस अन्धाधुन्ध भागदौड़ से न तुम्हारे बच्चे खुश हैं न बुजुर्ग अभिभावक!
झूठे कहीं के? तुम तो यही झांसा देते रहे ना कि इनके सुख का इन्तजाम करने ही भागदौड़ करते हो?
अरे तुम्हारी इसी अहंकारी वृत्ति से तो दुःखी हैं सब! 

फ़िरसे सोचो। अभी 2020 की यादें ताजा हैं, तुम घर में बैठे तो सबतरफ़ जश्न हुए। हवाएं साफ़, पानी साफ़, आकाश चमकअने लगा था तुम्हारी नन्ही बिटिया की मुस्कानों की तरह!
घर से ही काम करोना भाई। 
मान लो, अगर बचना है; नहीं तो मौत मुबारक! 
निष्कर्ष (In conclusion) तुम मरोगे तो धरती के बचने की राह बन सकती है।