पुनः महासंग्राम को उत्सवित देश

ज महात्मा फ़ुल्ले की जन्म जयन्ति से 14-4-21 बाबा साहेब आम्बेडकर जयन्ती तक ‘टीका-उत्सव’ मनाता देश। कोरोना से बचाव हित जी-जान से लगा है, तो अपनी ममता दीदी सदा की तरह मोदी-विरोध की धुन में कूचबिहार के शीतलाकुची ग्राम में मुसलमानों को अराजकता के लिए भड़का रही हैं।  अब निर्वाचन आयोग ने ममता को रोकने क लिए सारे राजनैतिक दलों पर तीन दिन जिले प्रवेश की पाबन्दी लगा दी तो फ़ोन करके भड़काया। किसी तरह केन्द्र इनको गिरफ़्तार करे तो कम से कम सहानुभूति वोट के बलपर जमानतें तो बचे। अभी तो अन्तिम चार चरण बाकी हैं। ममता बहुत खतरनाक खेला कर सकती है। उसकी पूरी राजनैतिक यात्रा गवाह है कि यह जिद्दी लड़की कुछ भी कर सकती है। इसमें तो त्रिया हठ के साथ  राजहठ और बाल हठ के लक्षण भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। ऐसी विषम मोर्चाबन्दी के बीच मुस्कुराते हुए उत्सव की आयोजना भारत का कोई योगेश्वर कृष्ण ही कर सकता है। अब ममताजी के महारथी श्रीमान प्रशान्त किशोरजी मोदीजी पर भगवान होने का आरोपण कर दें तो आश्चर्य कैसा।  
 
हाँ, उत्सवित-उत्साहित महानायक जैसे गालियों भरे झूठे आरोपों से अप्रभावित रहे, वैसे ही अतिरेकी प्रशंसा भरे इस भगवान नुमा आरोपण में भी बने रहेंगे, इतनी आशा-अपेक्षा तो यह देश कर ही सकता है। इतना तो कृष्ण कर चुके हैं मित्र, अब भारत को इससे आगे नई राहें बनानी है। विश्वगुरु का चिराकांक्षित पद ऐसे ही न मिल जाएगा ना।  
 
फ़िर से जंग
कोरोना के विरुद्ध
जान बचाने
तेरी-मेरी-सबकी
ये नया स्टेन
तेजी से फ़ैलकर
जान ले लेता
किसी को न छोड़ता
एण्टी बोडीज
कवच न बनते
न इम्युनिटि
प्राणायाम योगादि
गारण्टी नहीं
कि बचा ही सकेंगे
मगर युद्ध
अवश्यंभावी बना
हो उत्सवित
महासंग्राम हेतु
परम्परा है
याद कर लीजिए
ढोल-नगाड़े
दुन्दुभियां गूंजती
स्वागतार्थ
हर बलिदान को
गौरव माना
मृत्यु पर उत्सव
युद्ध-आह्वान 
भारत का स्वभाव
संस्कृति सच
राष्ट्रवाद पोषक
पुनः मनाएं
महाजनों के नाम
वायरस से युद्ध्।