अपमान राकेश्वर का और सुपर डांसर मोदी

यह मीडिया की ताकत एक छोटा सा नमूना है कि राकेश्वरसिंह की रिहाई का पब्लिक शो अन्तर्राष्ट्रीय

मुद्दा बन गया। इस ‘शो’ को लाखों  लोगों ने देखा। नक्सलियों की aलल सेना ने बीसीयों जवानों की शहादत लेकर अपहृत राकेश्वर को कैमरे के सामने अपमान जनक तरीके से रिहा करके भारत की पगड़ी सरे-बाजार ठोकरों से उछाली है। भारतीय मूल के दुनियां भर में फ़ैले जन को बड़ा अपमान जनक लगा, उनके ‘राष्ट्रवाद’ को चोट लगी है। यह छोटी सी चिन्गारी भीषण आग का रूप ले सकती है, यह गत दशक में घटी अनेक अन्तर्राष्ट्रीय के आईने में देखी जा सकती हैं। अब पूरे विश्व में भारत के हिन्दू राष्ट्रवाद पर कोई भी अवमानना अनेक स्थापित समीकरणों को बिगाड़ सकती हैं; नए समीकरणों को जन्म भी दे सकती है। 

अब क्या कहा जाए भारत के इस त्वरित और क्रमिक विकास पर। इधर सोनी टीवी पर सुपर डांसर अपने चौथे सीजन में आते ही पलकों के झपकने पर बन्दिशें लगा रहा है; तो राजनैतिक क्रिकेट मैदान में मोदी के सात साल से लगातार उड़ते चौके-छक्के विरोधी खिलाड़ियों के साथ अनगिनत दर्शकों को भी छकाते-थकाते-झकाते जा रहे हैं। जैसे राष्ट्रवाद का नशा सबके सिर चढकर नाचने लगा है। राकेश्वर सिंह प्रकरण राष्ट्र्वादी महानृत्य की एक त्वरित मुरकी मान लें।