वाह कुंभ – Political gathering no Social distance

परम्परा अपने अतीत के तोता-रटन्ती गौरव गान से ऊपर उठकर वर्तमान के आह्वान को स्वीकृति दे रही है। कोरोना के भय से हो या साक्षात मृत्यु के भय से, कोई एक करवट तो ली धर्मसत्ता ने1 निपट मुसल्मान न बने रहे। अधिनायक के संवाद को सुना और सही को स्वीकारा, बधाई जन-गण के मन को …

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