कड़ी परीक्षा है
कमाल है। इससे भी ज्यादा विषम परिस्थितियों से देश को सफ़लतापूरक बाहर लाकर एक बाजीगर ने अनगिनत लोगों के मन में भगवान होने की प्रतिष्ठा पाई, सारे विरोधियों को एकसाथ अपने अखाड़े में आने को मजबूर करके खूब पटखनियां दी; और आज एक ऐसे ट्रेजडी वाले मोहरे से पिट गए जो जन गण के मन में एक काईयां बनिए की की छवि पा गया था
परीक्षाओं को ही स्थगित किया, परीक्षा को पीठ दिखा दी1
यह क्या हुआ बाजीगर दोस्त/
अरे वह तो तुम्हारी शैली की ही नकल करने लगा था।
तुम्हारी सोच का पीछा करते करते तुमसे दो-चार कदम आगे बढ गया।
भांप गया कोरोना की स्पीड को। ना ना करते अपने राज्य में लॉग डाऊन जैसी बन्दिशें लगा दी, और जन गण का ध्यान बटाने के लिए मीडिया पर हाथ जोड़कर मांग रकख दी कि परिक्षाएं रद्द कर दी जाएं>
‘जान है तो जहान है’ का आपका ही जुमला आप पर दे मारा/ वाह रे मफ़लरवाले। मानना पड़ेगा यार। तुम तो मोटा भाई को भी पछाड़ गए1 शाबास। खाँग्रेसी कल्चर की जनक इन्दिराजी की स्कूल में सीखे लगते हो यह पैंतरा> उन्होंने भी तो कामराज जैसे दिग्गज को मात दी थी1 ज्यो1
चलो, कोरोना के खतरे से जरा चार आँख हो जाए।
चौदह महीने हुए कोरोना के साथ जीते हुए, मगर अबतक इसके साथ निभाना न आया। जैसे शादी के वर्षों बाद तक, दो-तीन सन्तान होने के बाद भी कोई पति अपनी पत्नी को न मना पाता है न मान पाता है। समझ ही नहीं पाता कि कब कैसे म्यूटेट करेगी/ उधर पत्नीजी भी इसी उलझन में होती है कि यह आदमी क्या है जो अपनी पत्नी का मन नहीं समझ पाता/ जी, कोरोना वायरस की सिफ़ारिश करता है शिशु साधक। उसे शिकायत है कि आदमी अपनी जीवनशैली बदलता क्यों नहीं? बड़ी-बड़ी बात करत है, इतना नहीं होता कि दिखावे की जिन्दगी छोड़कर सहज सरल जिए। बदलती ॠतु मौसम के साथ खानपान दिनचर्या सम्भालें, अपने बच्चों के लिए घर में खुसश रहें: बच्चों पर शिकंजा कसने लग है कोरोना। पत्नी अब पतियों के लिए जानलेवा हो रही है, अपनी पत्नी को धैर्य और प्यार से मना लें , उसे समय दें। जी हां: कोरोना से पत्नी की तरह प्यार करें< उसे समझें< उसके म्यूटेशaन को पहचानें> दोष देखना हो तो पत्नी क ना देखें< अपना ही देखें> अपनी गलती मान लें यार।
इस परीक्षा को न स्थगित कर सकते हैं< न भाग सकते हैं> इसीके साथ जीना पड़ेगा तो इससे दोस्ती कर लो ना।